पिछले कुछ वर्षों में, क्षेत्रीय भाषाओं में कमेंटेटरों की सफलता का प्रभाव अंग्रेजी कमेंट्री के आधिपत्य पर व्यापक रूप से पड़ा है। यह सब 2012 में शुरू हुआ जब भारतीय क्रिकेट के मेजबान प्रसारक स्टार स्पोर्ट्स ने अपने पारंपरिक अंग्रेजी फीड के साथ हिंदी कमेंट्री की शुरुआत कर इस परपंरा को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
तब से, पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा हिंदी कमेंट्री के मशालची बन गए हैं। चोपड़ा ने अपनी सुसज्जित व मजबूत हिंदी और सूक्ष्म वन-लाइनर्स की मदद से इस शैली में खुद के लिए एक जगह बना ली। घरेलू क्रिकेट के दिग्गज चोपड़ा ने इंग्लैंड में भारत के विजयी 2013 चैंपियंस ट्रॉफी अभियान के दौरान अपनी हिंदी कमेंट्री से सभी का दिल जीत लिया था।
चोपड़ा समान रूप से एक प्रतिभाशाली अंग्रेजी सुवक्ता भी हैं, लेकिन दाहिने हाथ के इस खिलाड़ी को लगता है कि चूंकि उनकी पहली भाषा हिंदी है, इसलिए यह स्वाभाविक रूप से उनके पास आती है। वह हिन्दी में शब्दों के साथ बहुत अधिक खेल सकते हैं। चोपड़ा ने क्रिकबज को दिए एक हालिया साक्षात्कार में, यह भी खुलासा किया कि उन्होंने डेविड लॉयड या नवजोत सिंह सिद्धू की नकल करने की कभी कोशिश नहीं की, और उनका मकसद हमेशा चीजों को सरल रखना है।
चोपड़ा ने क्रिकबज से कहा “हिंदी मेरी पहली भाषा है, यह मुझे स्वाभाविक रूप से आती है। हिंदी में, हमें उस तरह का फ़्रीहैंड मिला जब इसे स्टार द्वारा फिर से आविष्कार किया गया था। चूंकि मैं शुरू से इसका एक हिस्सा था, इसलिए मेरे पास एक नया खाका बनाने की सुविधा थी। अंग्रेजी के साथ, मुझे लगता है कि टेम्पलेट पहले से ही पत्थर में सेट है। शैली को बहुत स्वच्छ, बहुत सफेदपोश के तौर पर डिज़ाइन किया गया है। बेशक, डैनी मॉरिसन जैसे कुछ आउटलियर्स हैं, लेकिन मैं कोई डैनी नहीं हूं।”
“मैं मुंह ही मुंह में बड़बड़ा नहीं सकता, क्योंकि मेरे पास खेलने के लिए शब्दों का ढेर नहीं है। इसलिए मैं वहां नहीं जाऊंगा, बल्कि मैं अपनी ताकत के साथ रहना चाहूंगा। हिंदी के साथ भी मैं शायरी नहीं करता। मैं सिद्धू नहीं हूं, मैं ऐसा नहीं कर सकता। लेकिन मैं शब्दों के साथ खेलूंगा, चाहे वह तुकबंदी हो या एक वाक्य हो, क्योंकि हिंदी के साथ मुझे पता है कि मैं उनका कहां उपयोग कर सकता हूं। अंग्रेजी सीधी है।”
जब उनके पसंदीदा कमेंट्री के बारे में पूछा गया, तो चोपड़ा ने बिना देर किये 2007 के टी20 विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ युवराज सिंह के छक्के लगाने के लिए रवि शास्त्री की ओर इशारा किया।
उन्होंने कहा, “रवि शास्त्री द्वारा उन छह छक्कों को लेकर की जाने वाली कमेंट्री मेरी पसंदीदा पीसेज में से एक थी। हर छक्के को एक ही जैसा नहीं कहा जा सकता है, लेकिन जब पूरे ओवर में सिर्फ छक्के थे तो आप और क्या कहेंगे?”
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