सेविया से लौटा कोई फुटबॉलर मोहनबागान की ओर से खेलेगा, ऐसा शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। लेकिन जब यह हुआ तो लोगों के मन में यही बात आयी कि शायद फिट ना हो। पहले 3 मैचों में गोल ना होने पर फुटबॉल विशेषज्ञों ने यह कह ही दिया था कि 'इससे ना हो पायेगा'। आज उसी फुटबॉलर ने 5 सालों बाद उन सारी संभावनाओं पर विराम लगाते हुए मोहनबागान के हाथों में आई-लीग की ट्रॉफी पकड़ा दी।
मैदान पर जोशीला खेल दिखाने वाले पापा दिवारा वास्तव में काफी शर्मीले स्वभाव के हैं। एक संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से रूबरू होते हुए पापा दिवारा ने कई बातें साझा की। लीग जीत कर होने वाली अनुभूति पर पापा ने कहा “मेरी अनुभूति को मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूं। चैंपियन होने की अनुभूति वास्तव में काफी मधुर होती है और इस तरह से चैंपियन बनने की खुशी ही अलग है।” अपने विजयी गोल को पापा ने अपने परिवार और मोहनबागान के समर्थकों को समर्पित किया है। उन्होंने कहा “घर पर मेरी 3 बेटियां हैं वे इंतजार करती रहती हैं मेरी कामयाबी के लिए और इतने गोल मैंने पहले कभी नहीं किये थे इसलिए वे और भी खुश हैं।” शुरुआत में 3 मैचों में पापा ने एक भी गोल नहीं किये थे। उन दिनों उनके बारे में काफी आलोचनाएं होती थीं। उस दौरान हुए अनुभव के बारे में पूछने पर पापा ने कहा “सारी दुनिय़ा ही ऐसी है। आप अगर कामयाब होते हैं तो आपको वाहवाही मिलेगी। सभी आपको सिर पर उठाकर नाचेंगे और अगर आप असफल होते हैं तो आपको नीचे गिरा देंगे। इसलिए उन दिनों होने वाली आलोचनाओं से मुझे ज्यादा कुछ महसूस नहीं होता था। एक स्ट्राइकर का काम गोल करना है और मैं वहीं करता था।”
स्पेन के शीर्ष क्लबों में से एक में खेलने वाले खिलाड़ी पापा ने यहां आकर होने वाले अपने अनुभवों के बारे में कई बातें साझा की। उन्होंने कहा “पूरी दुनिया में फुटबॉल एक है। 11 खिलाड़ी मिलकर एक गोल गेंद को लेकर खेलते हैं। वह स्पेन हो या सेनेगल या भारत। मैं पिछले 4-5 महीने नहीं खेला। मंच कौन सा है यह बड़ी बात नहीं है जो जरूरी है वह यह है कि गोल होना चाहिए और मैं वह कर सका हूं, दल के अधिकारी, खिलाड़ियों प्रशंसकों के चेहरे पर जीत की मुस्कान ला सका हूं यही मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है।” भविष्य में किस दल की ओर से खेलेंगे पापा इस सवाल पर उन्होंने कहा “अभी कुछ भी निश्चित नहीं किया है। मैंने पहले ही कहा था कि मैं यहां खेलने आया हूं। जब मैं सामंजस्य स्थापित कर पाया हूं तो किसी दल के चाहने पर क्यों नहीं रहूंगा लेकिन अभी भी मेरे साथ किसी की बात नहीं हुई है।”
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