इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया भर में सबसे बड़ी टी 20 क्रिकेट लीगों में से एक है। इसके अलावा, विदेशी और घरेलू खिलाड़ी भी इस टूर्नामेंट में खेलने का सपना देखते हैं। जहां तक उनके अनुभव का सवाल है, यह उनके लिए मददगार है क्योंकि वे इससे आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं। लेकिन, माइकल क्लार्क की आईपीएल पर अपेक्षाकृत अलग राय है। उन्हें लगता है कि कैश-रिच लीग ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को भारतीय खिलाड़ियों के खिलाफ कम आक्रामक बना दिया है।
2008 में आईपीएल अस्तित्व में आया और तब से इस पर कोई रोक नहीं है। टूर्नामेंट का सफर काफी ऊंच-नीच वाला रहा और कई बाधाओं से होकर गुजरा। लेकिन यह एक भी सीज़न के लिए छोड़ा नहीं गया। इस तथ्य पर कोई संदेह नहीं है कि विदेशी खिलाड़ी टूर्नामेंट का दिल हैं, जिन्होंने प्रशंसकों के बीच बहुत लोकप्रियता हासिल की है। मैथ्यू हेडन, माइकल हसी, डेविड वार्नर, स्टीव स्मिथ, खुद क्लार्क जैसे और कई खिलाड़ी पहले आईपीएल में दिखाई दे चुके हैं।
माइकल क्लार्क ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के बदले हुए स्वभाव पर अपनी राय दी
अब पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क ने कहा है कि हर कोई जानता है कि भारत खेल के वित्तीय भाग के संबंध में काफी मजबूत है। वह कहते हैं कि आईपीएल मुख्य कारण है कि अंतरराष्ट्रीय टीमें अपने स्वभाव के विपरीत गई हैं जिसके कारण पिछले एक दशक में टीम इंडिया सफल हुई है। ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ-साथ अन्य खिलाड़ी भी विराट कोहली और भारतीय खिलाड़ियों को आक्रामकता दिखाने से डरते हैं क्योंकि उन्हें आईपीएल में उनके साथ खेलना होता है।
माइकल ने एक चैट शो बिग स्पोर्ट्स ब्रेफास्ट के दौरान कहा “हर कोई जानता है कि खेल के आर्थिक हिस्से में अंतरराष्ट्रीय या आईपीएल सहित घरेलू स्तर पर भारत कितना ताकतवर है। मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट और संभवत: अन्य टीमें कुछ समय के लिए अलग लय में चली जाती हैं और भारत के सामने दब जाती हैं। क्रिकेटर्स विराट कोहली या अन्य खिलाड़ियों को स्लेज करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें अप्रैल में भारतीय खिलाड़ियों के साथ आईपीएल खेलना होता है।”
इसके अलावा, 39 वर्षीय क्लार्क ने महसूस किया कि खिलाड़ियों का ध्यान हमेशा आईपीएल में खेलने पर केंद्रित होता है और वे आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट की कमाई के अवसरों को बढ़ाने के लिए कोहली को स्लेज करना नहीं चाहते हैं। क्लार्क के अनुसार, एक समय था जब ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने भारतीय खिलाड़ियों के खिलाफ बहुत नम्र हो गये थे।
क्लार्क ने कहा “खिलाड़ी इस तरह के थे कि जैसे वे कह रहे हों मैं कोहली की स्लेजिंग नहीं करने जा रहा हूं। मैं चाहता हूं कि वह मुझे बैंगलोर के लिए खरीदे। इससे मैं 6 हफ्तों में 10 लाख अमेरिकी डॉलर कमा सकता हूं। मुझे ऐसा लगता है कि ऑस्ट्रेलिया उस छोटे से दौर से गुजरा है, जहां हमारा क्रिकेट थोड़ा सॉफ्ट हो गया था या उतना आक्रामक नहीं था, जितना हम देखने के आदी हैं।”
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